तुम देना साथ मेरा

तुम देना साथ मेरा

Sunday 10 May 2020

वक़्त की हर गाँठ पर ....मन की उपज

वक़्त की
हर गाँठ पर
हँसते-मुस्कुराते जीने
के लिए
कुछ संज़ीदगी भी 
जरुरी है।

ये जो दौर है
महामारी का
वायरस के डंक से
च़िहुँककर 
दूर छिटकना
लॉकडाउन के पिंजरें में
फड़फड़ाना
मजबूरी है।

संज़ीदगी 
मात्र सोच में क्यों
जीने के तौर-तरीकों में
"मेरी मर्जी"
ऐसी क्यूँ
मग़रूरी है।

मौत को
तय करने दीजिए
 फ़ासला
ज़िंदगी
जीने वालों के
नज़रिए से
पूरी या अधूरी है।
©यशोदा