तुम देना साथ मेरा

तुम देना साथ मेरा

Sunday 25 October 2020

नारी की आकांक्षा


एक स्त्री के लिए
प्रेम से बढ़कर भी
कुछ हो सकता है,
तो वो है सम्मान
या रिस्पेक्ट..।

क्षणिक हो सकता है
प्रेम ..पर
सम्मान नहीं होता
क्षणिक..वो क्यों
दिखावटी हो सकता है
प्रेम....पर
सम्मान नहीं

एक दिलचस्प बात
कि ईश्वर ने स्त्री को
ऐसी शक्ति दी है
जिससे वह
पढ़ सकती है
किसी भी पुरुष के भावों को
और पुरुष द्वारा 
दिया गया
सम्मान भाव को
स्थापित कर लेती है

अपने मन में वह स्त्री
शायद इसी लिए
स्त्री से दिखावा करना
संभव नहीं..।

-मन की उपज
टिप्पणी..
नारी की अभिलाषा और कार्य क्षमता का विश्लेषण..
रचना मन में स्वतः विस्फोटित हुई