वक्त है
या नहीं है वक्त
वक्त का क्या
बीतता जाता है
कोसना वक्त को
मूर्खता है निरी
अनमोल देन है ये
वक्त.....दाता की
नेमत है ये वक्त
वक्त का...
हर लम्हा अकूत मूल्य
रखता है... जुड़ें रहें
इस वक्त से..आप
थाम नहीं सकते...
वक्त को...आपको
चलना ही होगा साथ
वक्त के....कोशिश
कीजिए मुस्कुराने की
वक्त के साथ..
हमें कोई...
इख़्तियार नहीं
वक्त की चाल पर
फिर भी हर पल
दावा पेश करते हैं
वक्त के अपना होने का
- यशोदा
मन की उपज
सुन्दर
ReplyDeleteBahut sunder rachna
ReplyDeleteMujhe apni rachna ki yad dila gai...
समय जो थामन मै चला छूटा जैसे रेत,
मन मेरा तन में बंधा समय तो जैसे प्रेत,
अद्भुत समय की चाल है रूप बड़ा विक्राल,
इसके सारे दास है किस्मत हो या काल,
आपकी लिखी रचना "मित्र मंडली" में लिंक की गई है https://rakeshkirachanay.blogspot.in/2017/12/47.html पर आप सादर आमंत्रित हैं ....धन्यवाद!
ReplyDeleteवक्त.....दाता की
ReplyDeleteनेमत है ये वक्त
वक्त का...
हर लम्हा अकूत मूल्य
रखता है... जुड़ें रहें
इस वक्त से..आप
थाम नहीं सकते...
लाजवाब सृजन । अति सुन्दर भावाभिव्यक्ति ।
हमें कोई...
ReplyDeleteइख़्तियार नहीं
वक्त की चाल पर
फिर भी हर पल
दावा पेश करते हैं
वक्त के अपना होने का !!
बहुत सुन्दर रचना…वक्त से ही तो नहीं डरता इंसान !
बहुत सुंदर ..हमें कोई...
ReplyDeleteइख़्तियार नहीं
वक्त की चाल पर
वाह!!!
ReplyDeleteबहुत ही सारगर्भित...
हमें कोई...
इख़्तियार नहीं
वक्त की चाल पर
फिर भी हर पल
दावा पेश करते हैं
वक्त के अपना होने का
वक्त के साथ चलकर ही वक्त को अपना सकते हैं...।
लाजवाब सृजन।
वाह.. दीदी,वक्त की सार्थकता का सार्वभौमिक वर्णन,सुंदर रचना पढ़ने को मिली बधाई आपको।
ReplyDeleteवक़्त अपने हिसाब से चलता रहता .... हमें वक़्त के साथ चलना होगा ।
ReplyDeleteआभार दीदी..
Deleteसादर नमन..
आपको
ReplyDeleteचलना ही होगा साथ
वक्त के....कोशिश
कीजिए मुस्कुराने की
वक्त के साथ..
बहुत खूब...दी,वक़्त के साथ जो नहीं चलते उन्हें पछताव से अधिक कुछ नहीं मिलता।
लेकिन कभी कभी वक़्त की कमी हो ही जाती है और मैं लेट से पहुँचती हूँ आप तक
सादर नमन आपको दी
वक्त की अपनी चाल है पर इंसान पर उसके दावे अतिशयोक्तिपूर्ण हैं। सार्थक रचना आदरणीय दीदी। हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं 🙏🌷🌷💐❤️
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