एक स्त्री के लिए
प्रेम से बढ़कर भी
कुछ हो सकता है,
तो वो है सम्मान
या रिस्पेक्ट..।
क्षणिक हो सकता है
प्रेम ..पर
सम्मान नहीं होता
क्षणिक..वो क्यों
दिखावटी हो सकता है
प्रेम....पर
सम्मान नहीं
एक दिलचस्प बात
कि ईश्वर ने स्त्री को
ऐसी शक्ति दी है
जिससे वह
पढ़ सकती है
किसी भी पुरुष के भावों को
और पुरुष द्वारा
दिया गया
सम्मान भाव को
स्थापित कर लेती है
अपने मन में वह स्त्री
शायद इसी लिए
स्त्री से दिखावा करना
संभव नहीं..।
-मन की उपज
टिप्पणी..
नारी की अभिलाषा और कार्य क्षमता का विश्लेषण..
रचना मन में स्वतः विस्फोटित हुई
-मन की उपज
ReplyDeleteअति सुन्दर
एक स्त्री के लिए
ReplyDeleteप्रेम से बढ़कर भी
कुछ हो सकता है,
तो वो है सम्मान
या रिस्पेक्ट..। बेहतरीन सराहनीय दी यही चंद शब्द हर पुरुष को समझने चाहिए।
सादर
वाह
ReplyDeleteबेहतरीन
ReplyDeleteप्रभावशाली
बहुत अच्छे मनोभाव ...
ReplyDeleteशायद इसीलिए
ReplyDeleteस्त्री से दिखावा
करना सम्भव नहीं..!
स्त्री मन को उद्गृत करती सटीक रचना..!
नारी की अभिलाषा कार्य क्षमता व शक्ति हर रूप में अनोखी। उसका सम्मान स्वयं भी करना आना चाहिए। सुंदर अभिव्यक्ति
ReplyDeleteएक दिलचस्प बात
ReplyDeleteकि ईश्वर ने स्त्री को
ऐसी शक्ति दी है
जिससे वह
पढ़ सकती है
किसी भी पुरुष के भावों को
और पुरुष द्वारा
दिया गया
सम्मान भाव को
स्थापित कर लेती है
वाह!!!
सटीक सुन्दर एवं लाजवाब सृजन।
सही कहा यशोदा दी कि नारी को सबसे अधिक प्रिय उसका सम्मान ही है।
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