Wednesday, 21 September 2011

जिन्दगी का कसूरवार हूँ ..............यश चौधरी

खुद अपने आप पे मुझको था ऐतबार बहुत
अब अपने आप से रहता हूँ होशियार बहुत

वो जिसने कोई भी वादा नहीं किया मुझसे
उस एक शख्स का रहता है इंतज़ार बहुत

वो खुद तो मेरी पहुँच से निकल गया बाहर
जता रहा है मगर मुझपे इख़्तियार बहुत

शरीक दिल से खुशी में न हो सका मेरी गी
वो लग रहा था मुझे मेरा गमगुसार बहुत

तमाम उम्र तजुर्बों में काट दी मैंने
मैं जिन्दगी का रहा हूँ कसूरवार बहुत

---यश चौधरी

5 comments:

  1. वो खुद तो मेरी पहुँच से निकल गया बाहर
    जता रहा है मगर मुझपे इख़्तियार बहुत

    बहुत खूब सर!

    सादर

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  2. एक निवेदन
    कृपया कमेंट्स मे से वर्ड वैरिफिकेशन को हटा लें।
    अधिक जानकारी के लिए कृपया निम्न वीडियो देखें-
    http://www.youtube.com/watch?v=L0nCfXRY5dk

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  3. हम भी बताये देते हैं यह कि
    शायरी से हमें है प्यार बहुत !!
    शायरी हमें खींच लाती है कहीं भी
    वरना वैसे तो हैं हमारे यार बहुत....

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  4. वो जिसने कोई भी वादा नहीं किया मुझसे
    उस एक शख्स का रहता है इंतज़ार बहुत

    बहुत सुन्दर गज़ल...

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  5. khubsurat rachana....................

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