खुद अपने आप पे मुझको था ऐतबार बहुत
अब अपने आप से रहता हूँ होशियार बहुत
वो जिसने कोई भी वादा नहीं किया मुझसे
उस एक शख्स का रहता है इंतज़ार बहुत
वो खुद तो मेरी पहुँच से निकल गया बाहर
जता रहा है मगर मुझपे इख़्तियार बहुत
शरीक दिल से खुशी में न हो सका मेरी गी
वो लग रहा था मुझे मेरा गमगुसार बहुत
तमाम उम्र तजुर्बों में काट दी मैंने
मैं जिन्दगी का रहा हूँ कसूरवार बहुत
अब अपने आप से रहता हूँ होशियार बहुत
वो जिसने कोई भी वादा नहीं किया मुझसे
उस एक शख्स का रहता है इंतज़ार बहुत
वो खुद तो मेरी पहुँच से निकल गया बाहर
जता रहा है मगर मुझपे इख़्तियार बहुत
शरीक दिल से खुशी में न हो सका मेरी गी
वो लग रहा था मुझे मेरा गमगुसार बहुत
तमाम उम्र तजुर्बों में काट दी मैंने
मैं जिन्दगी का रहा हूँ कसूरवार बहुत
---यश चौधरी
वो खुद तो मेरी पहुँच से निकल गया बाहर
ReplyDeleteजता रहा है मगर मुझपे इख़्तियार बहुत
बहुत खूब सर!
सादर
एक निवेदन
ReplyDeleteकृपया कमेंट्स मे से वर्ड वैरिफिकेशन को हटा लें।
अधिक जानकारी के लिए कृपया निम्न वीडियो देखें-
http://www.youtube.com/watch?v=L0nCfXRY5dk
हम भी बताये देते हैं यह कि
ReplyDeleteशायरी से हमें है प्यार बहुत !!
शायरी हमें खींच लाती है कहीं भी
वरना वैसे तो हैं हमारे यार बहुत....
वो जिसने कोई भी वादा नहीं किया मुझसे
ReplyDeleteउस एक शख्स का रहता है इंतज़ार बहुत
बहुत सुन्दर गज़ल...
khubsurat rachana....................
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