तुम देना साथ मेरा

तुम देना साथ मेरा

Wednesday, 16 December 2020

रसहीन उत्सव

बीत गई
फीकी दीपावली
उत्साहविहीन
सुविधा विहीन
यंत्रवत जीवन जिया 
एक मशीन की तरह

सुबह से शाम तक
रात में भी सोने के पहले
एक चिंतन कि
कल की कल-कल
मन में असंतोष
खुशियाँ सारी समाप्त,

मास्क पहनने
और हाथ धोने में
बची खुची कसर
चढ़ गई बनकर भेंट
इस कहर भरी
विदेशी विषाणुओं रचित
महामारी कोरोना की भेट

घर पर रहकर मानव
महज निसहाय 'औ'
किस्से -कहानी तक
रह गया सीमित
यह महोत्सव दीपावली का
रस्म अदाई हो गई है..
-यशोदा
तस्वीर क्या बोले समूह मे स्वरचित