तुम देना साथ मेरा

तुम देना साथ मेरा

Saturday, 17 March 2018

फिर...आपकी देह के इर्द-गिर्द... मन की उपज

जब आप बीमार रहते हैं तो 
बना रहता है हुजूम
तीमारदारों का 
और ये.. 
वो ही रहते हैं 
जिनकी बीमारी में...
आपने चिकित्सा व्यवस्था 
करवाई थी 
पर भगवान न करे...
आपकी मृत्यु हो गई 
तो...वे 
आपको आपके घर तक 
पहुंचा भी देंगे..
और फिर...
....आपकी देह के 
इर्द-गिर्द... 
रिश्तेदारों का 
जमावड़ा शुरु हो जाएगा...
कुछ ये जानने की 
कोशिश में रहेंगे कि 
हमें कुछ दे गया या नहीं....
यदि नहीं तो... 
आस लग जाती है 
घर के बचे लोगों से 
कि निशानी को तौर पर 
क्या कुछ मिलेगा..
पर डटे रहते हैं 
पूरे तेरह दिन तक...
-यशोदा-मन की उपज

Wednesday, 7 March 2018

एक ख़त परमपिता परमेश्वर के नाम


हे परमपिता परमेश्वर
श्रद्धेय हृदय वंदन।

इस संसार की हम सभी महिलाएँ आपको धन्यवाद देना चाहती हैं कि आपने हमें अपनी सर्वश्रेष्ठ कृति और सबसे खूबसूरत करिश्में के रूप में धरती पर भेजा है। आपने हमें वो तमाम गुणों से अलंकृत किया , जो संसार में किसी और के पास नहीं।
आपने हमें प्यार, ममता, मासूमियत, सच्चाई, हिम्मत, हौसला, बुद्धिमत्ता, कार्यकुशलता...जैसे वो गुण दिए जो महिलाओं को ख़ास बनाते हैं, परिवार बनाने व जोड़े रखने का हुनर दिया....और सबसे बड़ा ओहदा "मां बनने का सौभाग्य" यहां धरती पर ऐसा कहा जाता है कि आप यदि ईश्वर के दर्शन करना चाहते हैं तो अपनी माँ को देख लें..ये आपका आशीर्वाद ही है, वरना इस धरती पर ऐसा सम्मान किसी और को हासिल नहीं है।
बस,  आपसे एक विनती है कि हमें ये शक्ति भी प्रदान करे कि हम महिलाएँ एक - दूसरे की ताकत बनें कमजोरी नहीं, हम एक-दूसरे का दर्द समझे और उससे उबरने कोशिश भी मिलकर करे, महिलाओं को लिए महिलाओं की ये कोशिश बहुत जरूरी है। बिखरी हुई महिला शक्ति संगठित होकर अपनी दशा और दिशा में सकारात्मक परिवर्तन करने में सक्षम है। स्वयंसिद्धा नारी को किसी भी अन्याय, कुरीतियों और जुल्म के आगे मजबूर नहीं होना होगा अगर वो एकजुट हो जाये।
अपना संबल पुरुष में ढूँढती नारी को अगर नारी से सहारा मिले तो सही मायने में अपनी आज़ादी जी पायेंगी।
सप्रेम
आपकी यशोदा