मेरा ही कदम पहला हो,
उस जहाँ की तरफ, जिसकी ख्वाहिश मुझमें है
जो ख्वाब उन सूनी आँखों ने देखा ही नहीं,
उसे पूरा करने की गुंजाइश मुझमें है
खुदा को आसमानों में क्यूँ ढूंडा करूँ?
जब उसकी रिहाइश मुझमें है
एक कारवाँ भी साथ हो ही लेगा,
ऐसी अदा-ऐ-गुज़ारिश मुझमें है
खुदगर्ज़ी की लहर में बर्फ हुए जातें हैं सीने,
दिलों के पिघलादे, वो गर्माइश मुझमें है
मेरे ख्वाबों, मेरे अरमानों के लिए औरों को क्यों ताकूँ?
इनकी तामीर की पैदाइश मुझमें है
---यश चौधरी
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