गर बेटियों का कत्ल यूँ ही कोख में होता रहेगा!
शर्तिया इन्सान अपनी पहचान भी खोता रहेगा!!
मर जायेंगे अहसास सारे खोखली होगी हँसी,
साँस लेती देह बस ये आदमी ढोता रहेगा!!
स्वर्ग जाने के लिए बेटे की सीढी ढूँढ कर,
नर्क भोगेगा सदा ये आदमी रोता रहेगा!!
ढूँढ लेगा चंद खुशियाँ अपने जीने के लिए,
आदमी बिन बेटियों के मुर्दा बन सोता रहेगा!!
चैन सब खोना पड़ेगा बदनाम होगा आदमी,
बेटियों को मरने का दाग बस धोता रहेगा!!
--डॉ. योगेन्द्र नाथ शर्मा ’अरुण’
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