Sunday, 27 November 2011

नारी शक्ति................चरणलाल

नारी चाहे तो आकाश धरा पर लादे
नारी चाहे तो धरती को स्वर्ग बना दे
नारी ने विपदा झेली है
नारी शोलों से खेली है
नारी अंगारों पर चलकर
अंगारों की ताप मिटा दे
नारी चाहे तो पत्थर को पानी कर दे
और पानी में आग लगादे
नारी चाहे तो आकाश धरा पर लादे
नारी चाहे तो धरती को स्वर्ग बना दे
नारी नर की निर्माता है
नारी देवों की माता है
नारी नर को शक्ति देती
नारी से नर सुख पाता है
नारी जो चाहे सो करदे
गागर में सागर को भर दे
तूफानों से टक्कर लेले
मरुभूमि में पुष्प खिला दे
नारी चाहे तो आकाश धरा पर लादे
नारी चाहे तो धरती को स्वर्ग बना दे
यूं तो नारी अबला बनकर
पत्थर का भी दिल हर लेती
मानवता की रक्षा हेतु
कभी भयंकर नागिन बनकर
बड़े विषधरों को डस लेती
और पुरुष जब टेढा चलकर
अपने घर को छत्ती पहुंचाए
इस संकट में नारी बुद्धि
नर के पथ को सीधा कर दे
नारी चाहे तो आकाश धरा पर ला दे
नारी चाहे तो धरती को स्वर्ग बना दे .

"चरण"
गुरुवार, जून- 23, 2011

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