Sunday, 27 November 2011

नीर कब तक यूँ बहाओगे .......................... मुकेश ठन्ना

नीर कब तक यूँ बहाओगे ,,

कब तलक सबको रुलाओगे ,,

छोड़ दो दुनिया के ये झूठे रवाज ,,

खुद को यूँ कब तक जलाओगे ,,

....सत्य से अब तुम यूँ लड़ना छोड़ दो ,,

झूठ का अब आसरा भी छोड़ दो ,,

उठ खड़े हो जाओ अब तुम इस तरह ,,

की जिंदगी को इक दिशा में मोड़ दो ,,
---------मुकेश ठन्ना

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