मौसम और मन...भाई यशवन्त माथुर
कभी धूप
कभी छाँव
कभी गर्मी
कभी ठंड
कभी बरसात
कभी बसंत
बदलता है मौसम
पल पल रंग।
मन भी तो ऐसा ही है
बिलकुल मौसम जैसा
पल पल बदलता हुआ
कभी अनुराग रखता है
प्रेम मे पिघलता है
और कभी
जलता है
द्वेष की गर्मी मे।
ठंड मे ठिठुरता है
किटकिटाता है
क्या हो रहा है-
सही या गलत
समझ नहीं पाता है
जम सा जाता है मन
पानी के ऊपर तैरती
बरफ की सिल्ली की तरह ।
मन!
जब बरसता है
बेहिसाब बरसता ही
चला जाता है
बे परवाह हो कर
अपनी सोच मे
अपने विचारों मे
खुद तो भीगता ही है
सबको भिगोता भी है
जैसे पहले से ही
निश्चय कर के निकला हो
बिना छाते के घर से बाहर ।
बसंत जैसा मन !
हर पल खुशनुमा सा
एक अलग ही एहसास लिये
कुछ कहता है
अपने मन की बातें करता है
मंद हवा मे झूमता है
इठलाता है
खेतों मे मुसकुराते
सरसों के फूलों मे
जैसे देख रहा हो
अपना अक्स।
मौसम और मन
कितनी समानता है
एकरूपता है
भूकंप के जैसी
सुनामियों के जैसी
ज्वालामुखियों के जैसी
और कभी
बिलकुल शांत
आराम की मुद्रा मे
लेटी हुई धरती के जैसी ।
--यशवन्त माथुर
http://jomeramankahe.blogspot.http://nayi-purani-halchal.
http://yashwantrajbalimathur.
सौवी पोस्ट के लिए आपको बधाई...
ReplyDeleteबेहतरीन रचना....:-)
शुक्रिया रीना बहन
Deleteआते रहिये
बहुत बहुत बधाई यशोदा
ReplyDeleteयशवंत की रचना ने चार चाँद लगा दिये......
आप दोनों को शुभकामनाएँ.
सस्नेह
बहुत-बहुत धन्यवाद
Deleteस्नेह बनाए रखें
बहुत सुन्दर प्रस्तुति...१००वीं पोस्ट के लिये बधाई...
ReplyDeleteधन्यवाद कैलाश भाई
Deleteसहयोग बनाए रखें
सौवी पोस्ट के लिए आपको बधाई.. बहुत खूबसूरत रचना।
ReplyDeleteधन्यवाद वन्दना जीजी
Deleteआते रहिये
सहयोग बनाए रखिये
1stly, plz accept my Heartiest Congratulations !:-)
ReplyDeleteबहुत बहुत सही तुलना ! खूबसूरती से बयाँ करती बदलते मौसम के संग बदलता हुआ मन......Really Beautiful !!!
शुक्रिया अनीता जी....
Deleteशतक की बधाइयाँ मुझे
रचना की प्रतिक्रिया भाई यशवन्त जी को
आप आई अच्छा लगा....आते रहिये
आदरणीया दीदी ,
ReplyDeleteमेरा सौभाग्य है कि आपकी सौवीं पोस्ट पर मेरा नाम है।
सभी पाठकों को हार्दिक धन्यवाद इस रचना को पसंद करने के लिए।
सादर
भाई
Deleteआपका बहुत बहुत धन्यवाद
आपने अनुमति दी इसे पोस्ट करना की
सुंदर, बेहतरीन अभिव्यक्ति।
ReplyDeleteधन्यवाद नीलेश भाई
Deleteबहुत खूबसूरती से भावों को शब्दों में ढाला है और एक एक शब्द चुनकर कविता को जन्म दिया है |सुन्दर रचना के लिए बधाई है |
ReplyDeleteधन्यवाद सुधा जीजी
Deleteआपके रचनाओं के मध्य हूँ अभी
आप नहीं जानती मैं नम्बर वन की चोरनी हूँ
सादर
यशोदा