ज्ञान की....भाषा
ज्ञान होता है
और इसे पाएं
कैसे...
एक प्रश्न है जटिल
....
कहा जाता है
भाषा से होती है
पैदाइश ज्ञान की
ये भी कहते हैं
भाषा का अपना
ज्ञान भी होता है ।
छोटे शब्दों में
भाषा यानी ज्ञान भी ।
....
भाषा न तो
मौन है
न ही मौन है ज्ञान
एक पहचान है
भाषा..जो
पहुंच रखती है
अपने साथ
पूर्ण रूप से
हमारे मन तक
....
भाषा पहुंच रखती है
एक मार्ग के साथ
और उस मार्ग की
भाषा एक नहीं होती
.........
भाषाएँ रहती है कई
मौन भी
बोलियाँ भी
और..
माने सही तो
इसे ही कहते है ज्ञान
-मन की उपज
बहुत ही सुंदर अभिव्यक्ति👌
ReplyDeleteबहुत सुंदर
ReplyDeleteबहुत खूब।
ReplyDeletekya bat hai
ReplyDeletebahot badhiya....waah
आपकी इस पोस्ट को आज की बुलेटिन 32वीं पुण्यतिथि - संजीव कुमार - ब्लॉग बुलेटिन में शामिल किया गया है। कृपया एक बार आकर हमारा मान ज़रूर बढ़ाएं,,, सादर .... आभार।।
ReplyDeleteसादर नमस्कार !
ReplyDeleteआपकी लिखी रचना "साप्ताहिक मुखरित मौन में" शनिवार 29 जून 2019 को साझा की गई है......... "साप्ताहिक मुखरित मौन- आज एक ही ब्लॉग से" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
बहुत ही सुन्दर अभिव्यक्ति
ReplyDeleteसादर
बहुत सुंदर /गहन प्रस्तुति।
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