Tuesday, 9 January 2018

जलता रहता है अलाव एक


जाने के बाद
तुम्हारे
अक्सर
ख़्यालों में 
तुमसे मिलकर
लौटने के बाद
हल्की-हल्की
आँच पर
खदबदाता रहता है
तुम्हारा एहसास 
लिपट कर साँसों से
पिघलता रहता है
कतरा-कतरा।
बनाने लगती हूँ
कविता तुम्हारे लिए
अकेलेपन की.......
जलता रहता है
अलाव एक
बुझते शरारों के बीच
फिर उम्मीद जगती है
और एक मुलाकात की
फिर.....तुम्हारे लिए
तुमसे मिलूँ.....
एक और नई
कविता के लिए

-यशोदा
-मन की उपज

10 comments:

  1. नमस्ते,
    आपकी यह प्रस्तुति BLOG "पाँच लिंकों का आनंद"
    ( http://halchalwith5links.blogspot.in ) में
    गुरूवार 11-01-2018 को प्रकाशनार्थ 909 वें अंक में सम्मिलित की गयी है।

    प्रातः 4 बजे के उपरान्त प्रकाशित अंक अवलोकनार्थ उपलब्ध होगा।
    चर्चा में शामिल होने के लिए आप सादर आमंत्रित हैं, आइयेगा ज़रूर।
    सधन्यवाद।

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  2. आपकी इस पोस्ट को आज की बुलेटिन विश्व हिन्दी दिवस और ब्लॉग बुलेटिन में शामिल किया गया है। कृपया एक बार आकर हमारा मान ज़रूर बढ़ाएं,,, सादर .... आभार।।

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  3. वाह्ह्ह...दी बहुत भावपूर्ण सुंदर रचना👌👌

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  4. बहुत सुन्दर यशोदा जी!आमतौर पर किसी बिरहिन का दर्द जानकर तकलीफ होती है पर अगर विरह के कारण ही ऐसी सुन्दर कविताओं का जन्म होता है तो फिर कवियित्री के बिरहिन रहने में ही हमको लाभ है.

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  5. हल्की हल्की
    आँच पर
    खदबदाता रहता है
    तुम्हारा एहसास
    वाह!!!
    लाजवाब रचना.....

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  6. एक नया अध्याय..सुन्दर शुरुआत

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  7. बहुत सुन्दर यशोदा जी!

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  8. आपकी लिखी रचना "मित्र मंडली" में लिंक की गई है https://rakeshkirachanay.blogspot.in/2018/01/52.html पर आप सादर आमंत्रित हैं ....धन्यवाद!

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  9. वह !!!!!!!! यशोदा दी -- भावनाओं के अलाव से बेहतरीन सृजन | दर्द से उपजे गीत संसार की भावनात्मक थाती हैं |

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  10. बेहतरीन अल्फाजों से सराबोर गज़ब की कश्मकश

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