Thursday, 12 April 2018

अहिल्या को नहीं भुगतना पड़ेगा.....मन की उपज


विडम्बना 
यही है की 
स्वतंत्र भारत में 
नारी का 
बाजारीकरण किया जा रहा है,

प्रसाधन की गुलामी, 
कामुक समप्रेषण 
और विज्ञापनों के जरिये 
उसका.......... 
व्यावसायिक उपयोग 
किया जा रहा है. 

कभी अंग भंगिमाओं से, 
कभी स्पर्श से, 
कभी योवन से तो 
कभी सहवास से 
कितने भयंकर परिणाम 
विकृतियों के रूप में 
सामने आए हैं, 

यही नही 
अनाचार के बाद 
जिन्दा जला देने 
जैसी निर्ममता से 
किसी की रूह 
तक नहीं कांपती 

क्यों....क्यों.. 
आज भी 
पुरुषों के लिये 
खुले दरवाजे 

और....और.. 
स्त्रियों के लिये
उफ....... 
कोई रोशनदान तक नहीं?

मैं कहती हूँ.... 
स्त्री नारी होती नहीं 
बनाई जाती है. 

हम सबको 
अब यह संकल्प लेना होगा 
कि अब और नहीं..
कतई नहीं, 
अब किसी इन्द्र के 
पाप का दण्ड 
अब किसी भी 
अहिल्या को 
नहीं भुगतना पड़ेगा

मन की उपज
-यशोदा
डायरी से....
28-9-14

16 comments:

  1. बहुत ही प्रेरणा देती रचना।

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  2. वाह!!सुंंदर रचना।

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  3. जी नमस्ते,
    आपकी लिखी रचना शुक्रवार १३ अप्रैल २०१८ के लिए साझा की गयी है
    पांच लिंकों का आनंद पर...
    आप भी सादर आमंत्रित हैं...धन्यवाद।

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  4. क्षोभ उभर कर आया है रचना मे शब्द शब्द चित्कार कर रहे हैं एक अव्यक्त दर्द का और एक खुला आह्वान।
    अप्रतिम रचना सखी दी।

    एक बात मै भी रख रही हूं नारी के पतन मे स्वयं नारी ही ज्यादा उत्तरदायी है, मानती हूं अनंतों बार तथाकथित इंद्रो के हाथों छली गई है,
    पर आज परिदृश्य काफी भिन्न है भौतिक चकाचौंध मे, स्वयं के रूप प्रदर्शन मे, पुरूष से होड़ मे, खुद को बराबर जतलाने की अंधी चाह मे, आज नये प्रतिमान स्थापित करने की भूल भुलैया मे, अपना नैतिक आचरण खोती जा रही है, स्वयं सिद्धा बनने मे अपने नैसर्गिक गुणों को भुलती जा रही है।
    बाजारवाद के सतरंगी सपने मे खुद उलझती जा रही है, कौनसी तृष्णा है जो ये सब करवा रही है स्वयं नारी के हाथो, ये एक ज्वलंत प्रश्न है नारी सिर्फ पुरुषों के हाथों नही ठगी जा रही है, वो स्वयं अपने आप को गर्त मे धकेल रही है और अपने आप को इस मुकाम पर काफी गर्वानवित समझती है।

    क्षमा करें दी पर नारी वाद का कुछ ऐसा वातावरण बन रहा है कि बुद्धि जीवी अपने आप को महान बताने के चक्र मे हां मे हां मिला रहा है, और सठ बेफिक्री से उन्हें कमाई का सरल जरिया बना कर आराम तलब होते जा रहे हैं।
    किसी भी अतिक्रमण के लिये क्षमा प्रार्थी हूं
    🙏साभार।

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    1. सखी,
      आपका कथन शतप्रतिशत सही है
      हम सहमत भी हैं
      उसके बाद भी कतिपय नारियों चेतना
      क्यो लुप्त हो जाती है
      सादर

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  5. सुन्दर सार्थक सटीक प्रस्तुति....
    स्त्री नारी होती नहीं
    बनायी जाती है
    हम सबको
    अब यह संकल्प लेना होगा
    कि अब और नहीं..
    कतई नहीं,
    अब किसी इन्द्र के
    पाप का दण्ड
    अब किसी भी
    अहिल्या को
    नहीं भुगतना पड़ेगा
    वाह!!!
    लाजवाब भाव स्त्रियों के उत्थान में...

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  6. अच्छी और सत्य का साक्षातकार कराती रचना

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  7. अब किसी इन्द्र के
    पाप का दण्ड
    अब किसी भी
    अहिल्या को
    नहीं भुगतना पड़ेगा
    --------वाह दीदी बहुत बड़ी बात लिख दी आपने | प्रथम पूज्य पांच भारतियों नारियों में से एक अहिल्या की करुण कथा न्याय दर्शन के दाता और ज्ञाता पति के गौतम ऋषि अनैतिक न्याय की प्रतीक है | छद्म प्रेमी के हाथों छली गयी पतिव्रता अहिल्या की अनजाने में हुई गलती को एक त्रिकालदर्शी पति भी क्षमा नही कर पाए क्योकि शायद इससे उनका पुरुषत्व आहत हो जाता तभी उसे पाषाणी रूप धारण कर अपने उद्धारक की राह तकनी पड़ी |अपने आत्मबल से ही एक नारी सबला बन सकती है |

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  8. सुन्दर रचना

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  9. सार्थक प्रस्तुति ! बहुत खूब आदरणीया ।

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  10. आपकी लिखी रचना "मित्र मंडली" में लिंक की गई है https://rakeshkirachanay.blogspot.in/2018/04/65_16.html पर आप सादर आमंत्रित हैं ....धन्यवाद!

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  11. सत्य का बयान करती प्रभावशाली‎ अभिव्यक्ति‎ .

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  12. प्रभावशाली प्रस्तुति । सार्थक अभिव्यक्ति

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  13. सादर नमस्कार !
    आपकी लिखी रचना "साप्ताहिक मुखरित मौन में" शनिवार 29 जून 2019 को साझा की गई है......... "साप्ताहिक मुखरित मौन- आज एक ही ब्लॉग से" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

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  14. बेहतरीन अभिव्यक्ति बहुत ही प्रभावशाली
    सादर

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