Monday, 24 June 2019

बड़प्पन

बड़प्पन
मायके आयी रमा, माँ को हैरानी से देख रही थी। माँ बड़े ध्यान से 
आज के अखबार के मुख पृष्ठ के पास दिन का खाना सजा रही थी। दाल, रोटी, सब्जी और रायता। फिर झट से फोटो खींच व्हाट्सप्प 
करने लगीं।
"माँ ये खाना खाने से पहले फोटो लेने का क्या शौक हो गया 
है आपको ?"

"अरे वो जतिन बेचारा, इतनी दूर रह हॉस्टल का खाना ही खा रहा है। कह रहा था की आप रोज लंच और डिनर के वक्त अपने खाने की तस्वीर भेज दिया करो उसे देख कर हॉस्टल का खाना खाने में आसानी रहती है। "

"क्या माँ लाड-प्यार में बिगाड़ रखा है तुमने उसे। वो कभी बड़ा भी होगा या बस ऐसी फालतू की जिद करने वाला बच्चा ही बना रहेगा !" रमा ने शिकायत की।

रमा ने खाना खाते ही झट से जतिन को फोन लगाया।

"जतिन माँ की ये क्या ड्यूटी लगा रखी है? इतनी दूर से भी माँ को तकलीफ दिए बिना तेरा दिन पूरा नहीं होता क्या ?"
"अरे नहीं दीदी ऐसा क्यों कह रही हो। मैं क्यों करूंगा माँ को परेशान?"
"तो प्यारे भाई ये लंच और डिनर की रोज फोटो क्यों मंगवाते हो ?"
बहन की शिकायत सुन जतिन हंस पड़ा। फिर कुछ गंभीर स्वर में 
बोल पड़ा :
"दीदी पापा की मौत , तुम्हारी शादी और मेरे हॉस्टल जाने के बाद अब माँ अकेली ही तो रह गयी हैं। पिछली बार छुट्टियों में घर आया तो कामवाली आंटी ने बताया की वो किसी- किसी दिन कुछ भी नहीं बनाती। चाय के साथ ब्रेड खा लेती हैं या बस खिचड़ी। पूरे दिन अकेले उदास बैठी रहती हैं। तब उन्हें रोज ढंग का खाना खिलवाने का यही तरीका सूझा। मुझे फोटो भेजने के चक्कर में दो टाइम अच्छा खाना बनाती हैं। फिर खा भी लेती हैं और इस व्यस्तता के चलते ज्यादा उदास भी नहीं होती। "
जवाब सुन रमा की ऑंखें छलक आयी। रूंधे गले से बस इतना बोल पायी .......
भाई तू सच में बड़ा हो गया है.....

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ये रचना अपराजिता जग्गी ने लिखी है
अभी ये सूचना प्राप्त हुई है
सादर आभार

11 comments:

  1. बेहतरीन भावों से सुसज्जित बेहतरीन लघुकथा !!

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  2. सादर नमस्कार!
    आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों का आनन्द में" गुरुवार जून 27, 2019 को साझा की गई है......... पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

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  3. वाह ! रिश्तों की मधुरता को परोसती सुंदर कहानी

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  4. वाह बहुत खूबसूरत लघुकथा . बेटे के जबाब ने अन्त को बहुत ही उद्देश्यपूर्ण और अप्रत्याशित बना दिया है . वाह यशोदा जी .

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  5. बहुत ही मर्मस्पर्शी कथा ! मानवीय संवेदनाओं की महत्ता को चिन्हित करती बेहतरीन प्रस्तुति ! अति सुन्दर !

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  6. कैसे कहदेते हैं लोग बेटों में संवेदनाओं की कमी होती है । बहुत सुंदर और कोमल एहसास समेटे प्यारी लघु कथा ।

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  7. बेटा हो तो ऐसा..प्रेरक कहानी दी।
    आभार साझा करने हेतु।

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  8. बेहद हृदयस्पर्शी

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  9. आपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज बुधवार 21 अक्टूबर 2020 को साझा की गई है.... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

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