Wednesday 29 May 2019

ज़िंदगी के मायने और है


आज की चाहतें और है
कल की ख़्वाहिशें और हैं
जो जीते है ज़िंदगी के पल-पल को
उसके लिये ज़िंदगी के मायने और है

हसरतें कुछ और हैं
वक़्त की इल्तज़ा कुछ और है
हासिल कुछ हो न हो
उम्र का फलसफ़ा कुछ और है

कौन जी सका है...
ज़िन्दगी अपने मुताबिक
वक़्त की उंगली थामे
हर मोड़ की कहानी कुछ और है 

ख़यालों के सफ़र में
हक़ीकत और ख़्वाब बुने जाते हैं
दिल चाहता कुछ और है
पर होता कुछ और है

यूं तो जिंदगी में आवाज देने वाले,
ढेरों मिल जायेंगे .......!!
कुछ पल सुकून आ जाये
ऐसे हमनवां का एहसास और है.....!!

मन की उपज

16 comments:

  1. निशब्द और मन्त्रमुग्ध हूँ ....., भाव शब्दों में सुगंध सरीखे गुथे हैं जो सीधे अन्तर्मन तक पहुँचते हैं ।अप्रतिम सृजन सखी ।

    ReplyDelete
  2. जी नमस्ते,

    आपकी लिखी रचना शुक्रवार ३१ मई २०१९ के लिए साझा की गयी है
    पांच लिंकों का आनंद पर...
    आप भी सादर आमंत्रित हैं...धन्यवाद।

    ReplyDelete
  3. वाह वाह शानदार सखी कोई प्रतिक्रिया इस के लिए कम होगी सुंदर शाश्वत से अहसास पिरो दिए आपने।
    अनुपम अप्रतिम।

    ReplyDelete
  4. बहुत ही सुंदर रचना ,लाज़बाब ,हमेशा की तरह ,सादर नमस्कार दी

    ReplyDelete
  5. हासिल कुछ हो न हो
    उम्र का फलसफ़ा कुछ और है.बेहतरीन !

    ReplyDelete
  6. सादर नमस्कार !
    आपकी लिखी रचना "साप्ताहिक मुखरित मौन में" शनिवार 29 जून 2019 को साझा की गई है......... "साप्ताहिक मुखरित मौन- आज एक ही ब्लॉग से" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

    ReplyDelete
  7. वाह ! बहुत ख़ूब दी
    प्रणाम

    ReplyDelete
  8. यूं तो जिंदगी में आवाज देने वाले,
    ढेरों मिल जायेंगे .......!!
    कुछ पल सुकून आ जाये
    ऐसे हमनवां का एहसास और है.....!!
    बहुत ही प्यारी बात लिखी आपने आदरणीय दीदी | हार्दिक बधाई एहसासों के एहसास से परिचय कराती भावपूर्ण सुंदर रचना के लिए |

    ReplyDelete
  9. जी नमस्ते ,
    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शनिवार (१७-०४-२०२१) को 'ज़िंदगी के मायने और है'(चर्चा अंक- ३९४०) पर भी होगी।
    आप भी सादर आमंत्रित है।

    ReplyDelete
  10. आज की चाहतें और है
    कल की ख़्वाहिशें और हैं
    जो जीते है ज़िंदगी के पल-पल को
    उसके लिये ज़िंदगी के मायने और है
    मुखड़ा जिंदादिली से भरपूर !
    कौन जी सका है...
    ज़िन्दगी अपने मुताबिक
    वक़्त की उंगली थामे
    हर मोड़ की कहानी कुछ और है
    जीवन के अनुभव दार्शनिक विचारों को जन्म देते हैं!
    यूं तो जिंदगी में आवाज देने वाले,
    ढेरों मिल जायेंगे .......!!
    कुछ पल सुकून आ जाये
    ऐसे हमनवां का एहसास और है.....!!
    और यही असल जिंदगी है। बाकी सब तो बस अभिनय है ! सार्थक, सुंदर, सरल रचना। बहुत सारा स्नेह आपके लिए आदरणीया दीदी।

    ReplyDelete
  11. वाह बेहतरीन रचना भावों से भरी हुई सार्थक प्रस्तुति

    ReplyDelete
  12. जो जीते है ज़िंदगी के पल-पल को
    उसके लिये ज़िंदगी के मायने और है .वाह 👌

    ReplyDelete
  13. हसरतें कुछ और हैं
    वक़्त की इल्तज़ा कुछ और है
    हासिल कुछ हो न हो
    उम्र का फलसफ़ा कुछ और है

    क्या खूब कहा है दी,निशब्द हूँ क्या प्रशंसा करूँ,बस नमन आपको
    पढ़ा तो पहले भी था,मगर बार-बार पढ़के भी जी ना भरे

    ReplyDelete
  14. पहले भी कहा कि ये अप्रतिम सृजन है,आज भी ये उतना ही गहराई से मन को छू रहा है।
    अभिनव‌

    ReplyDelete