तुमसे मिलने के बाद
पर समय को किसने थामा है आज तक
हर कदम तुम्हारे साथ ही रखा था ,ज़मीं पर
बहुत दूर चलने के लिए
पर रस्ते भी बेवफा निकले
समेट ली , अपनी लम्बाई
फिर दूर तुम्हारी ही आखो से
देखने लगी खुबसूरत नज़ारे
और खोने लगी ना जाने कहाँ
तभी तुमने जगाया ख्वाब से
कहते हुए जी लो हर पल
याद करने के लिए जीवन भर
तुम्हारी बातो का उफान
देता रहा मन को आकार
कभी भीगती रही
कभी उड़ती रही ,रेतीली धूल बन के
पर उड़ते हुए भी भीगने का एहसास बाकी रहा
मिलने की ख्वहिश बाकि रही
साँसे भी थमी रही तुम्हारे इंतज़ार में ..!!
--अज्ञात
प्रस्तुतिकरणः सोनू अग्रवाल
वाह
ReplyDeleteशुक्रिया भाई
Deleteउड़ते हुए भी भीगने का एहसास बाकि रहा
ReplyDeleteमिलने की ख्वहिश बाकि रही
साँसे भी थमी रही तुम्हारे इंतज़ार में ,
तुम्हारे इंतज़ार में ....... !!
भावनाओं की संवेदनशील अभिव्यक्ति..
ReplyDeleteधन्यवाद रीना बहन
Deletekya kahne hain...
ReplyDeletesaanse bhi ruk jati hain intzaar me:)
धनायवाद भाई मुकेश
Deletebehad bhavnatmk,'पर उड़ते हुए भी भीगने का एहसास बाकि रहा
ReplyDeleteमिलने की ख्वहिश बाकि रही
साँसे भी थमी रही तुम्हारे इंतज़ार में "MUK SABHI BACHAL HO GYE,ADHARO KE SUNDAR JANJAL HOGYE..."
bahut sundar
ReplyDeleteकभी उड़ती रही ,रेतीली धूल बन के
ReplyDeleteपर उड़ते हुए भी भीगने का एहसास बाकी रहा
मिलने की ख्वहिश बाकि रही
साँसे भी थमी रही तुम्हारे इंतज़ार में
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भावनाओं की सुंदर और संवेदनशील अभिव्यक्ति। आप हमेशा ही बढ़िया लिखती हैं। बधाई। सादर।
सुंदर रचना
ReplyDeleteबहुत सुन्दर
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