Wednesday, 30 January 2019

शब्दों का खेत


'शब्दों के खेत' में
आओ खामोशियों को बोएँ
तितलियों के पंखो को
सपनो की जादुई छड़ी से
सहलाएं....

अंतर्मन की आंखो से

बीते हुए वक्त को सहेजें...
कल-कल करती नदियों से
उसकी सहजता का भेद पूछें....
लोरी की बोलों को बोएं.....

सपनो के सिराहने,

नींद की अठखेलियों से खेलें...
एक नया खेत जोतने की
तैयारी में जुट जाएं.....
आओ, शब्दों के खेत में
खामोशी को फिर से बोएं....
- साजिदा आपा की रचना से प्रेरित

13 comments:

  1. आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शुक्रवार (01-02-2019) को "ब्लाॅग लिखने से बढ़िया कुछ नहीं..." (चर्चा अंक-3234)) पर भी होगी।
    --
    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
    --
    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
    --
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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  2. जी नमस्ते,
    आपकी लिखी रचना शुक्रवार १ फरवरी २०१९ के लिए साझा की गयी है
    पांच लिंकों का आनंद पर...
    आप भी सादर आमंत्रित हैं...धन्यवाद।

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  3. बेहद खूबसूरत ,
    आओ, शब्दों के खेत में
    खामोशी को फिर से बोएं.... दिल छू गई आपकी रचना ।

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  4. बेहद खूबसूरत

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  5. सपनो के सिराहने,
    नींद की अठखेलियों से खेलें...
    बहुत खूब.... सादर नमस्कार आप को

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  6. आपकी लिखी रचना "मित्र मंडली" में लिंक की गई है. https://rakeshkirachanay.blogspot.com/2019/02/107.html पर आप सादर आमंत्रित हैं ....धन्यवाद!

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  7. बेहद खूबसूरत रचना

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  8. बहुत सुंदर सखी सरल सुंदर भाव कोमल अनमोल।

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  9. 'शब्दों के खेत' में
    आओ खामोशियों को बोएँ

    गहरे अर्थों वाली एक अच्छी कविता ।

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  10. सादर नमस्कार !
    आपकी लिखी रचना "साप्ताहिक मुखरित मौन में" शनिवार 29 जून 2019 को साझा की गई है......... "साप्ताहिक मुखरित मौन- आज एक ही ब्लॉग से" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

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  11. बहुत ही सुन्दर रचना दी जी
    प्रणाम
    सादर

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  12. This comment has been removed by the author.

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