तुम देना साथ मेरा

तुम देना साथ मेरा

Thursday, 22 February 2024

झूठ छलकाती गागर ..





5 comments:

  1. जज्बातों से खेलना,
    है फ़ितरत इंसान की
    लम्हा लम्हा दुरूह
    क्या यही जीवन सार है
    बहुत सटीक एवं लाजवाब..
    वाह!!!

    ReplyDelete
  2. बहुत उम्दा रचना आदरणीय .

    ReplyDelete
  3. आजकल की सच्चाई को जिस सादगी और कड़वाहट के साथ आपने पिरोया है, वो सोचने पर मजबूर करती है। साजिशों, फरेब, खोखले रिश्तों और कमजोर होते विश्वास के इस दौर में वाकई ये सवाल उठाना लाज़मी है कि क्या यही जीवन का सार है? फूलों से दर्द की खुशबू आना और हौसलों पर सैयाद का साया होना बहुत गहरे अर्थ लिए हुए हैं। कहीं न कहीं हम सब इस उलझे संसार का हिस्सा हैं, पर तुम्हारी ये लिखी बातें अंदर कुछ हिला देती हैं।

    ReplyDelete