Wednesday, 21 September 2011

तन्हा उदास रहने दे...........मुजाहिद

गम ए जहाँ से मुझे रूशनाज़ रहने दे
जहान भर कि ख़ुशी अपने पास रहने दे

तेरा वजूद है दरिया सिफत मगर अफ़सोस
बुझा न पायेगा तू मेरी प्यास रहने दे

जो तिश्ना लब हैं पिला तू उन्हें मय ए उल्फत
हमारे हाथ में खाली गिलास रहने दे....

नसीब है जो तेरा उसके साथ तू खुश रह
हमे इसी तरह तन्हा उदास रहने दे...........

-मुजाहिद

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