Tuesday, 10 January 2012

जो जागा...........................गुलाब कोठारी

गलतियों का
पुतला है
आदमी।
भोलेपन में,
प्रवाह में,
आवेश में,
नादानी में,
हो सकती हैं
गलतियां।
क्या जरू री है
हर गलती का
लाभ उठाता रहे
जमाना,
कोई तो मिले
जो रोक सके
हाथों को
गलती करते समय
कोई तो दिखाए रास्ता
जीवन की सच्चाई का।
जब हाथ उठता है
गलती करने को
मन छूट जाता है
पकड़ से
तब वहां
उस माहौल में
कौन मिलेगा मनीषी
खोजता हुआ
अपने ईश्वर को
और, जो जागा,
मनीषी हो जाएगा।
--------गुलाब कोठारी
gulabkothari.wordpress.com

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