तुम देना साथ मेरा

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Saturday 4 November 2017

सरकारी रचनाकार...मन की उपज


सरकारी रचनाकार
सरकारी होकर
जीता कम है
पर ...
मरता अधिक है

सरकारी होना
रचनाकार का
जीत नहीं है 
वरन् करारी हार है
सरकार की

वजह.. यही
सरकारी रचनाकार ..
असंतुष्ट हो....तो
नज़र आए हैं
ज़मीदोज़ करते 

सरकार को 

वजह..

माया..
सत्ता है 
सरकार की
और यही..
माया....पगला
देती है रचनाकार को
और..पगला रचनाकार
रचता कब है ! 

माया की सत्ता पर... 
जल..
बिखेर देता है ।
-मन की उपज




10 comments:

  1. आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों का आनन्द में" रविवार 05 नवम्बर 2017 को साझा की गई है.................. http://halchalwith5links.blogspot.com पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

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  2. आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल रविवार (05-11-2017) को
    "हारा सरल सुभाव" (चर्चा अंक 2779)
    पर भी होगी।
    --
    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
    --
    कार्तिक पूर्णिमा (गुरू नानक जयन्ती) की
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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  3. वाह्ह्ह.....लाज़वाब👌

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  4. बहुत सटीक...
    लाजवाब

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  5. यही..
    माया....पगला
    देती है रचनाकार को...
    एकदम सच बहुत खूब रचा आपने...वाह यशोदा जी

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  6. सत्य कहा ! आदरणीया दीदी स्वतंत्र विचार रखने वाला सच्चा रचनाकार ,सुन्दर

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  7. वाह !!!
    यथार्थ को बयान करती आपकी रचना में तीखा व्यंग है जो घायल करता है सत्ता का हरेक स्थिति में साथ देने वाले रचनाकार को। दरबारी रचनकारों ने सत्ता से जुड़े लाभ भरपूर उठाये हैं। यश ,अलंकरण से लेकर धन भी कमाया है। सरकारी कृपा से बहुतों की कृतियाँ और रचनाऐं पाठ्यक्रम में शामिल हो गयीं जिन्हें पढ़कर कभी-कभी लगता है क्या-क्या पढ़ना पड़ता है।
    आपकी रचना का संदेश अत्यंत व्यापक है। बधाई एवं शुभकामनाऐं।

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