उसे पाने की
कोशिश का
चढ़ा है नशा..
है आ रही महक
गुलाब की
रात देखा था
इक ख़्वाब सा
किया था हमने
इज़हार प्यार का
कर रहा हूँ इन्तेज़ार
तेरे इकरार का
किया है इक वादा
वफ़ा का
पर....
पुरज़ोर कोशिश
कि, मेरी मोहब्बत
सरेआम भले ही हो
पर तमाम न हो
मन की उपज
-यशोदा