शाखाएँ भी कभी टूट जाती है पर वृक्ष... खड़ा रहता है निर्विकार..निरन्तर उस पर नई शाखाएँ आ जाती है नवपल्लव भी दिखाई पड़ने लगती है कुछ जिद्दी लताएँ साथ ही नही छोड़ती वृक्ष का.. रहती है चिपकी सूखती है और फिर अंकुरित हो जाती है
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल मंगलवार (19-12-2017) को "ढकी ढोल की पोल" (चर्चा अंक-2822) पर भी होगी। -- सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है। -- चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है। जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये। हार्दिक शुभकामनाओं के साथ। सादर...! डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
सच में, वृक्ष की तरह हम भी जीवन की कठिनाइयों में झुक सकते हैं, लेकिन मजबूत बने रहकर नए अवसर और नई शुरुआत पा सकते हैं। पत्तों का झड़ना, शाखाओं का टूटना, ये सब जीवन की चुनौतियाँ हैं, और नवपल्लव और अंकुरित लताएँ ये दिखाती हैं कि उम्मीद हमेशा रहती है।
बहुत ही शानदार रचना
ReplyDeleteबहुत बहुत बधाई
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल मंगलवार (19-12-2017) को "ढकी ढोल की पोल" (चर्चा अंक-2822) पर भी होगी।
ReplyDelete--
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
सुन्दर
ReplyDeleteबहुत ही शानदार रचना। कुछ आध्यात्मिक सी।
ReplyDeleteशुभ संध्या ।
जी नमस्ते,
ReplyDeleteआपकी लिखी रचना सोमवार 1 जनवरी 2018 के नववर्षीय विशेषांक के लिए लिंक की गयी है
पांच लिंकों का आनंद पर...
आप भी सादर आमंत्रित हैं...धन्यवाद।
सुन्दर विचारणीय रचना.
ReplyDeleteनव वर्ष की शुभकामनायें.
सुन्दर विचारणीय रचना.
ReplyDeleteनव वर्ष की शुभकामनायें.
लाजवाब रचना....
ReplyDeleteआपको और आपके परिवार को नववर्ष की शुभकामनाएं...
सुंंदर रचना..
ReplyDeleteसच समय के साथ..
उस पर
नई शाखाएँ
आ जाती है
नवपल्लव भी
वाह!!बहुत सुंदर रचना। नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं।
ReplyDeleteवाह
ReplyDeleteसकारात्मक ऊंचा सोच
पुराना जाता है तभी तो नया आता है
ReplyDeleteनया साल आ गया, लेकिन उसे भी एक दिन जाना है
बहुत अच्छी रचना
नववर्ष आपके लिए मंगलमय हो!
सच में, वृक्ष की तरह हम भी जीवन की कठिनाइयों में झुक सकते हैं, लेकिन मजबूत बने रहकर नए अवसर और नई शुरुआत पा सकते हैं। पत्तों का झड़ना, शाखाओं का टूटना, ये सब जीवन की चुनौतियाँ हैं, और नवपल्लव और अंकुरित लताएँ ये दिखाती हैं कि उम्मीद हमेशा रहती है।
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