तुम देना साथ मेरा

तुम देना साथ मेरा

Wednesday 21 September 2011

कसक..........................डॉ. बशीर बद्र

ये कसक दिल की दिल में चुभी रह गयी
ज़िन्दगी में तुम्हारी कमी रह गयी

एक मैं एक तुम एक दीवार थी
ज़िन्दगी आधी आधी बटी रह गयी

मैंने रोका नहीं वो चला भी गया
बेबसी दूर तक देखती रह गयी

मेरे घर की तरफ धुप की पीठ थी
आते आते इधर चांदनी रह गयी.......
-बशीर बद्र

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