तुम देना साथ मेरा

तुम देना साथ मेरा

Thursday 13 October 2011

टूट जाने तलक गिरा मुझको,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,हस्तीमल ’हस्ती’



टूट जाने तलक गिरा मुझको
कैसी मिट्टी का हूँ बता मुझको

मेरी ख़ुशबू भी मर न जाये कहीं
मेरी जड़ से न कर जुदा मुझको

घर मेरे हाथ बाँध देता है
वरना मैदां में देखना मुझको

अक़्ल कोई सज़ा है या इनआम
बारहा सोचना पड़ा मुझको

हुस्न क्या चंद रोज़ साथ रहा
आदतें अपनी दे गया मुझको

देख भगवे लिबास का जादू
सब समझतें हैं पारसा मुझको

कोई मेरा मरज़ तो पहचाने
दर्द क्या और क्या दवा मुझको

मेरी ताकत न जिस जगह पहुँची
उस जगह प्यार ले गया मुझको

ज़िंदगी से नहीं निभा पाया
बस यही एक ग़म रहा मुझको
------हस्तीमल ’हस्ती’

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