तुम देना साथ मेरा

तुम देना साथ मेरा

Saturday, 12 November 2011

दिन की कथा...............दिनेश जोशी

(एक)
अलभोर में
जो भोर तारा 
अलसाया,
सूरज लाल हुआ
क्षितिज में
कसमसाया...

(दो)
रात झेंपी-झेंपी 
अचिन्ही
फुसफुसाहटों से,
चाँद है कि
जागता
चिन्ही आहटों से...

(तीन)
अहर्निश 
चली आती दुपहरी 
तपती गोद में
सुबह लिए,
चाक ओढ़नी में
शाम किये...
-----.दिनेश जोशी

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