तुम देना साथ मेरा

तुम देना साथ मेरा

Sunday 10 May 2020

वक़्त की हर गाँठ पर ....मन की उपज

वक़्त की
हर गाँठ पर
हँसते-मुस्कुराते जीने
के लिए
कुछ संज़ीदगी भी 
जरुरी है।

ये जो दौर है
महामारी का
वायरस के डंक से
च़िहुँककर 
दूर छिटकना
लॉकडाउन के पिंजरें में
फड़फड़ाना
मजबूरी है।

संज़ीदगी 
मात्र सोच में क्यों
जीने के तौर-तरीकों में
"मेरी मर्जी"
ऐसी क्यूँ
मग़रूरी है।

मौत को
तय करने दीजिए
 फ़ासला
ज़िंदगी
जीने वालों के
नज़रिए से
पूरी या अधूरी है।
©यशोदा

17 comments:

  1. बहुत खूबसूरत रचना, मातृदिवस की शुभकामनाएं

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  2. "मौत को
    तय करने दीजिए
    फ़ासला" -
    एक दार्शनिक पहलू .. अतुल्य .. पर अमूमन लोगबाग खुद से ही तय करना चाहते हैं।
    "संज़ीदगी
    मात्र सोच में क्यों" -
    यह भी हो जाए तो मुखौटे वाली दोहरी ज़िन्दगी ना हो किसी की .. प्रायः लोग सोचों में कम चेहरे पर संजीदगी का मास्क ज्यादातर लगाते हैं .. शायद ...

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  3. जी दी शानदार।
    हर बंध बहुत सराहनीय है।
    सादर।

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  4. वाह!!बहुत खूब!

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  5. वाह!बेहतरीन अभिव्यक्ति आदरणीया दीदी.

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  6. बहुत सुंदर रचना, यशोदा दी।

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  7. वक़्त की
    हर गाँठ पर
    हँसते-मुस्कुराते जीने
    के लिए
    कुछ संज़ीदगी भी
    जरुरी है।

    बिक्ल्कुल
    बेहद ही ज़रूरी है और जो ज़रूरी ना समझे ज़िंदगी उसे इसकी ज़रूरत अच्छे से समझा देती है


    सोच को अपने साथ बाँध क्र आगे सोचने पर मज़बूर क्र देने वाली रचना
    सुंदर अभिव्यक्ति आदरणीया
    सादर नमन

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  8. वक़्त की
    हर गाँठ पर
    हँसते-मुस्कुराते जीने
    के लिए
    कुछ संज़ीदगी भी
    जरुरी है।
    सही कहा ,बहुत खूब ,अति उत्तम

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  9. बहुत ही सुन्दर भावों और उतने ही सुन्दर शब्दों से सजी सार्थक अभिव्यक्ति।

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  10. आदरणीया मैम,
    सादर नमन।
    10 जुलाई को मेरी कविता " एक शिक्षिका की दृष्टि से" पर अपने प्यार भरे आशीष के लिए आपका बहुत बहुत आभार। आपकी प्रतिक्रिया ने मुझे प्रोत्साहित किया और मेरा मनोबल बढ़ाया।
    आज पहली बार आपके ब्लॉग पर आना हुआ। आपकी यह कविता बहुत ही प्रेरणादायक है। सच है, हमें भगवान जी के प्रति कृतज्ञ होना चाहिये कि उन्होंने हमें इतना सुंदर जीवन दिया और इस कठिन समय में संयम बर्तन चाहिये। आज मैं ने एक नई रचना अपने ब्लॉग और डाली है: अहिल्या।
    कृपया पढ़ कर अनुग्रहित करें। आपके दो शब्द प्रोत्साहन के लिए मैं आभारी रहूँगी। लिंक कॉपी नही कर पा रही पर यदि आप मेरे नाम पर क्लिक करें तो वो आपको मेरे प्रोफाइल तक ले जाएगा। वहां मेरे ब्लॉग के नाम पर क्लिक करियेगा। वो आपको मेरे ब्लॉग तक ले जाएगा। आपने मुझे फ़ॉलोवेर गैजेट लगाने कहा था। वो लगा हुआ है।
    धन्यवाद सहित,
    अनंता

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  11. ये जो दौर है
    महामारी का
    वायरस के डंक से
    च़िहुँककर
    दूर छिटकना
    लॉकडाउन के पिंजरें में
    फड़फड़ाना
    मजबूरी है।

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  12. आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" मंगलवार 20 अक्टूबर 2020 को साझा की गयी है.............. पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

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  13. सच है, संज़ीदगी भी जरुरी है

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  14. मौत को
    तय करने दीजिए
    फ़ासला
    ज़िंदगी
    जीने वालों के
    नज़रिए से
    पूरी या अधूरी है।...खांटी सच!

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  15. ये जो दौर है
    महामारी का
    वायरस के डंक से
    च़िहुँककर
    दूर छिटकना
    लॉकडाउन के पिंजरें में
    फड़फड़ाना
    मजबूरी है।
    सही कहा...बहुत सटीक ..सुन्दर सार्थक एवं गहन अभिव्यक्ति।

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