तुम देना साथ मेरा

तुम देना साथ मेरा

Friday, 7 October 2011

तू हर इक बात पे बरपेगा ...........................राजीव थेपड़ा 'भूतनाथ'

गज़ब.....पता नहीं कहाँ-कहाँ,कब-कब,क्या-क्या कुछ लिखा जा चुका है...कि जिस पर कुछ भी कहना नाकाफी लगता है....उसपर तो कुछ नहीं कह पाउँगा...मगर उससे उत्प्रेरित होकर अभी-अभी जो मैंने गड़ा है....वो आप तक पहुंचा रहा हूँ....
अगर तू हर इक बात पे बरपेगा
तो फिर इक यार को भी तरसेगा !
कई उम्र का प्यासा हूँ मैं यारब
क्या ये अब्र कभी मुझपे बरसेगा !
इतना गुमाँ न कर अपनी ताकत पे
इक दिन तू चार कांधों को तरसेगा !
सबके लिए लड़ना हिम्मत की बात है
उसके लिए वतन का हर आंसू बरसेगा !
ये बता,कब रुखसत होगा तू यहाँ से
और ज्यादा देर की,इज्ज़त को तरसेगा !
वतन से गद्दारी करने वाले ये जान ले
तेरा बच्चा तेरे कर्मों का फल भुगतेगा !
है हिम्मत तो लड़ इस अव्यवस्था से
वरना तेरा खूँ व्यवस्था के लिए तरसेगा !
-----------राजीव थपड़ा 'भूतनाथ'

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