तुम देना साथ मेरा

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Tuesday, 11 October 2011

गल्तियाँ सबक हैं............आशा गोस्वामी

ठोकर लगने के अनज़ाने से डर से
बढ़ते कदम यूं नहीं सहमा करते...

और जो थम जायें राह में कहीं
वो नादां मंजिल नहीं चूमा करते..

ठुकराये गए अहसासों की राह में तो क्या
प्यार भरे दिल नफ़रत नहीं बोया करते..

गल्तियाँ सबक हैं..पत्थर की लकीर के माफ़िक
याद रखने वाले इन्हें दोहराया नहीं करते..

चाँद को बेशक़ नाज़ हो नूर पे अपने
बढ़ते-घटते चाँद सा गुमा ये जुगनू नहीं किया करते..!!

-आशा गोस्वामी

2 comments:

  1. ठोकर लगने के अनज़ाने से डर से
    बढ़ते कदम यूं नहीं सहमा करते...
    very nice

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  2. गुस्ताखी माफ़,मगर इसे ले में लाने के लिए थोड़ा रद्दो-बदल कर रहा हूँ,आशा है इसे अच्छे के रूप में लेंगी....या फिर पुनः माफ़ी के साथ....

    ठोकर लगने के अनज़ाने से डर से
    बढ़ते कदम यूं नहीं सहमा करते...

    और जो थम जायें राह में कहीं
    वो नादां मंजिल नहीं चूमा करते..

    ठुकराये गए अहसासों की राह में
    नफ़रत के बीज नहीं बोया करते..

    गल्तियाँ सबक हैं,पत्थर की लकीर
    सीखने वाले इन्हें दोहराया नहीं करते..

    चाँद को बेशक़ नाज़ हो नूर पे अपने
    उसकी तरह जुगनू गुमां नहीं करते..!!

    जिन्दगी जीने को जरूरी है "आशा"
    कुछ बिगड़ जाए तो रोया नहीं करते..!!

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