मुझे मौत का, मौत को मेरा, इन्तज़ार रहता है,
साहब से कब मिलना होगा, इन्तज़ार रहता है?
जीवन भोगा, इस जीवन का, हर सुखदुख भी भोगा,
अब उस दुनियां के सुखदुख का, इन्तज़ार रहता है।
सोचता हूँ कि इकदिन, उस दुनियां का सच जानूँगा,
जाने क्यों उस दिन, उस पल का, इन्तज़ार रहता है?
मानव की किस्मत में जाने, कितना सफ़र लिखा है?
इसको कब जानूँ कब समझूँगा, इन्तज़ार रहता है?
उससे बिछड़के जीना कितना, मुश्किल हो जाता है!
फिर जीना आसां कब होगा , इन्तज़ार रहता है?
लोग न जाने क्यों मरने से, डरते ही रहते हैं?
मरके मंज़िल को पा जाऊँगा, इन्तज़ार रहता है।
--------अशोक वशिष्ट साहब से कब मिलना होगा, इन्तज़ार रहता है?
जीवन भोगा, इस जीवन का, हर सुखदुख भी भोगा,
अब उस दुनियां के सुखदुख का, इन्तज़ार रहता है।
सोचता हूँ कि इकदिन, उस दुनियां का सच जानूँगा,
जाने क्यों उस दिन, उस पल का, इन्तज़ार रहता है?
मानव की किस्मत में जाने, कितना सफ़र लिखा है?
इसको कब जानूँ कब समझूँगा, इन्तज़ार रहता है?
उससे बिछड़के जीना कितना, मुश्किल हो जाता है!
फिर जीना आसां कब होगा , इन्तज़ार रहता है?
लोग न जाने क्यों मरने से, डरते ही रहते हैं?
मरके मंज़िल को पा जाऊँगा, इन्तज़ार रहता है।
मानव की किस्मत में जाने, कितना सफ़र लिखा है?
ReplyDeleteइसको कब जानूँ कब समझूँगा, इन्तज़ार रहता है?
बहुत खूब लिखा है सर ने।
सादर
bahut hi sundar rachana hai
ReplyDelete