दिन की कथा...............दिनेश जोशी
(एक) अलभोर में
जो भोर तारा
अलसाया,
सूरज लाल हुआ
क्षितिज में
कसमसाया...
(दो)
रात झेंपी-झेंपी
अचिन्ही
फुसफुसाहटों से,
चाँद है कि
जागता
चिन्ही आहटों से...
(तीन)
अहर्निश
चली आती दुपहरी
तपती गोद में
सुबह लिए,
चाक ओढ़नी में
शाम किये...
-----.दिनेश जोशी
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