कसूर इतना था कि चाहा था उन्हें
दिल में बसाया था उन्हें कि
मुश्किल में साथ निभायेगें
ऐसा साथी माना था उन्हें |
राहों में मेरे साथ चले जो
दुनिया से जुदा जाना था उन्हें
बिताती हर लम्हा उनके साथ
यूँ करीब पाना चाहा था उन्हें
किस तरह इन आँखों ने
दिल कि सुन सदा के लिए
उस खुदा से माँगा था उन्हें
इसी तरह मैंने खामोश रह
अपना बनाना चाहा था उन्हें |
- दीप्ति शर्मा
दिल में बसाया था उन्हें कि
मुश्किल में साथ निभायेगें
ऐसा साथी माना था उन्हें |
राहों में मेरे साथ चले जो
दुनिया से जुदा जाना था उन्हें
बिताती हर लम्हा उनके साथ
यूँ करीब पाना चाहा था उन्हें
किस तरह इन आँखों ने
दिल कि सुन सदा के लिए
उस खुदा से माँगा था उन्हें
इसी तरह मैंने खामोश रह
अपना बनाना चाहा था उन्हें |
- दीप्ति शर्मा
एक सच्ची पुकार काफ़ी है
ReplyDeleteहर घड़ी क्या खुदा खुदा करना
जब भी चाहत जगे समंदर की
एक नदी की तरह बहा करना
...
आप ही अपने काम आयेंगे
सीखिए ख़ुद से मशवरा करना ...!!
लाख हो दुश्वार जीना फिर भी जीना चाहिए
ReplyDeleteआदमी में अज़्मो-हिम्मत और भरोसा चाहिए
हौसला टूटा हुआ और अश्क आँखों में भरे
ज़िन्दगी को इस तरह हरगिज़ न जीना चाहिए...!!!
behtarin rachana...
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